Bharatiya Baigyanikata (भारतीय वैज्ञानिकता), आध्यात्म और विदेशी मानसिकता एक ऐसा विषय है जो भारत के विज्ञान, आध्यात्म और विदेशी मानसिकता के बीच का रोचक मेल दिखाता है। यह लेख भारत के वैज्ञानिक दृष्टिकोण, आध्यात्मिकता के गहरे असर और विदेशी विचार धाराओं को समझता है | जो देश की प्रगति और अबनति को आकार देने में सहायक साबित हुए हैं।
भारत का वैज्ञानिक सफर हमेशा अपनी गहरी आध्यात्मिक विरासत के साथ जुड़ा हुआ रहा है। भारतीय वैज्ञानिकता (भारतीय विज्ञान) कभी भी अलग से नहीं विकसित हुई, बल्कि यह आध्यात्मिक ज्ञान और अन्वेषण के साथ गाथित हुई। विज्ञान और आध्यात्म का यह मेल भारत की ज्ञान की एक विशेष दृष्टि को जन्म देता है। विदेशी प्रभाव, खासकर अंग्रेजी काल के दौरान, भारत के विज्ञान और आध्यात्म के विचारों को एक नए रूप में ढालने में सहायक साबित हुआ।
बिदेशी मानसिकता दिमाग को कैसे काबू कर लेता है | Bharatiya Baigyanikata कैसे छुप जाता है |
हमारे दिमाग में मानसिकता विदेश की कैसे बैठ गई है | मैं को उदाहरण देना चाहता हूं आपको याद हो आज से कुछ शाल पहले घटना हुई थी इंदौर में | एक पार्टी के नेता हैं जिन्होंने कहा की कुछ मजदूर जो थे वह पोहा खा रहे थे | और उन्होंने कहा उसके बाद उनको शक हुआ की ये बांग्लादेशी ही है |
और जब की इंक्वारी की गई तो वो बांग्लादेश निकले | तो उसको लेकर एक बहुत बड़े जो नेता हैं जो mohtarmay मजलिस हैं | और mhafije इत्तेहादुल musalmin है | और उसके बाद भी वो आदमी सेकुलर राजनीति मैं है | उन्होंने यह कहा की साहब पोहा देख कर उन्होंने पहचान लिया | मैं तो पोहा खाता नहीं हूं मैं तो हलवा खाता हूं | हलवा तो अरबी है इसलिए मैं हलवा खाता हूं | इसका ऊपर टीवी में डिबेट था |
हलवे का सबसे प्राइम कंसिस्टेंट क्या है |
किसने कहा इन महोदय ने कहा की हलुवा अरबी है | हलवे का सबसे प्राइम कंसिस्टेंट क्या है |अब बताइए शुगर शक्कर | शक्कर कहां पाई जाती है जहां गाना पाए जाता है | गाना दुनिया में दो ही देशों में सबसे ज्यादा पाया जाता है | भारत और क्यूबा उसने कहा ये जहां की बात कर रहे हैं | वहां तो गाना पाया ही नहीं जाता | जो गाना नहीं पाया जाता तो शक्कर कहां से आई |
अब दूसरा कांस्टीट्यूएंट है उसका घी | किसी भी चीज का हलवा बनाएंगे तो घी और शक्कर तो चाहिए | घी कहां होता है जहां प्रचुर मात्रा में दूध होता है | दूध से दही दही से मक्खन | मक्खन से घी बनता है | अब जहां ऊंट का बूंद बूंद दूध मिलता है वहां से दही कहां से, मक्खन, कहां से घी आया | मगर आप पराधीनता का भाव यह देखिए हलवा उन्होंने बनाया और हमको खिलाया |और हमने मान भी लिया की उन्होंने खिलाया | हमारा पूर्बजों का Bharatiya Baigyanikata और हमारा बर्तमान बिचार धरा में यही अंतर है
हमारे भाषाओं में Bharatiya Baigyanikata और बिदेशी भासाओ में बैज्ञानिकता का अंतर |
आज हमें इस विचार से भी बाहर नहीं निकल पाए | मैंने एक छोटा सा उदाहरण दिया की इस बड़ी चीजों से लेके हम राष्ट्र के रूप में हमारा अस्तित्व नहीं था | वहां से लेकर छोटी-छोटी हर खाने की चीज हमारे पास बाहर से आई ये विचार हमारे दिमाग में इस कदर प्राबिस्ट है | एक और छोटी सी बात बताते हैं | आपको जैसे हम भाषा की बात करते हैं |
तो संस्कृत हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में जितने स्वर हैं वो क्या है | अ,आ,इ, ई, उ, ऊ, ए ,ऐ ,ओ, औ | अंग्रेजी में जो 5 भावेल है बो क्या है A,E,I,O,U | अब अ,आ,इ, ई, उ, ऊ, ए ,ऐ ,ओ, औ और A,E,I,O,U के बिच कुछ समानता है की नहीं अब कुछ बताने की आवश्यकता है क्या? किसने नकल किया होगा आप समझ जाइए | मगर इसके बावजूद हमें लगता है की वही सही है |
Bharatiya Baigyanikata भाषा में विचार और वैज्ञानिकता |
और फिर इतना ही नहीं अगर आप व्याकरण की दृष्टि से देखें तो हमारे जितने भी स्वर हैं वो इतने व्यवस्थित ढंग से हैं | अभी कई बार कहते हैं ना की भाई भाषा या संस्कृति हमारे भाषा के साथ जुड़ी रहती है | उसमें दो चीज हैं विचार और वैज्ञानिकता | वैज्ञानिकता में देखें तो हमारे जैसे अंग्रेजी में कहते हैं ना ए,बी,सी,डी पढ़ा है | तो हिंदी के लिए क्या कहते हैं क ख ग घ पढ़े हो क्या |
तो जब आप क बोलते हैं तो जबान कहां लगती है | ख और पीछे ग और पीछे घ और पीछे अंग गले पे बिल्कुल आपके फोनेटिक्स कंटूर के अनुसार लगती है | त,थ,द,ध,न, प,फ,ब,भ,म सब होंठ के साथ, ट,ठ,ड,ढ,ण और ये ऐसा नहीं है यह सब संस्कृत से निकली भारतीय भाषाएं हैं | जिसमें बकायदा श्लोक है वो मुझे पूरा नहीं याद हैं | कौन कंठब्य से निकलते हैं कौन तालब्य हैं कौन दन्तव्य हैं इतना विस्तृत साइंटिफिक चीज हैं |
Bharatiya Baigyanikata अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में अंतर |
और उसके बावजूद हम पड़े हुए हैं की साहब हमें वो पुरानी चीज चाहिए | जैसा की आप आंख बंद करिए और चार लोग आपके सामने अंग्रेजी बोले चार लोग एक कश्मीरी या पंजाबी हो एक बिहारी हो और एक तमिल हो | आप वहां आंख खोलने की जरूरत नहीं | आप बता देंगे ये तमिल बोल रहा है ये बिहारी बोल रहा है और ये कश्मीरी बोल रहा है | क्योंकि एक्सेंट का प्रॉब्लम है साइलेंट का प्रॉब्लम है, लैंग्वेज सइंस्टीफिक नहीं है | मगर आप आंख बंद करिए और एक संस्कृत का श्लोक बोला जाए | तो आप नहीं बता पाएंगे की तिरुपति बालाजी में बोला जा रहा है | की कामाख्या में बोला जा रहा है | या वैष्णो देवी में बोला जा रहा है | यह है भाषा की वैज्ञानिकता | इसके बावजूद हमारे दिमाग में ये भर दिया गया भाषा हम उनसे सीखे हैं |
जबकि आई भी हम ही से लैंग्वेज सिखा भी हमसे | इसके बावजूद हमसे उलटा कहा गया | जब की ज्यादा वैज्ञानिकता भी हमारी भाषा ज्यादा व्यवस्थित भी हमारी भाषा | ये हम लोग नहीं कहा रहेहैं | बिलियम जोन्स ने कहा संस्कृत इज द मदर ऑफ़ अल्ल लैंगुएजेस |और अब आप कहेंगे चलिए थी हम आगे क्या करें | कुछ लोग अपने जो हमारे जो बाएं हाथ से इतिहास लिखने वाले लोग हैं | वो लोग ये कहते हैं ना की साहब ये सब था तो हमें बताइए आगे | मैं बता रहा हूं आगे क्या है | अगर हम सब लोग हमारे बच्चे आने वाले टाइम में इस रिसर्च करें |
Bharatiya Baigyanikata टेक्नोलॉजी डिजिटल प्लेटफार्म पे भारतीय भाषाओँ की भबिष्य |
बताइए आज सारी टेक्नोलॉजी डिजिटल प्लेटफार्म पे है डिजिटल प्लेटफार्म की टेक्नोलॉजी बाइनरी सेटअप पर चलती है 0101| जब 0101पर चलती है | तो एक ऐसी लैंग्वेज जिसमें मात्रा पाई नाम की चीज नहीं है डिस्क्रीट नंबर्स हैं ए बी सी डि | इट इस वेरी सूटेबल फॉर डिजिटल प्लेटफार्म | बट क्या ता जिंदगी डिजिटल प्लेटफार्म पर रहेगी | टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती चली जाएगी | What is going to be the emerging new technology, It is Voice Command. और अब इसकी सुरुवात हो गयी, आप बोलते हैं मोबाइल पे बो उसको टाइप कर देता है | अब जो जो भएस कमांड का टेक्नोलॉजी आगे बढ़ता चला जाएगा | वैसे ही फोनेटिक्स का इंपॉर्टेंस बढ़ेगा |
उसकी सोनोग्राफी रिसर्च होगी | उसके साथ-साथ उसके जो अकाउंटस्टिक इफेक्ट हैं | उस पर रिसर्च होगी | और जो-जो हम आगे बढ़ेंगे | तो वो सारी भाषाएं जिनकी वर्तनी जिनके स्वर अधिक वैज्ञानिक हैं अधिक प्रभावी हैं | उन भाषाओं के लिए सुनहरा अवसर है आगे अपने को स्थापित करने को | और इतना ही नहीं हमारे यहां तो माना गया है की संपूर्ण भाषाओं के अंदर एक छंद है एक तरंगे हैं | और उन तरंगों तक जब हम पहुंचेंगे सोनोग्राफी रिसर्च करते हुए | तो हमारे यहां जो हर चीज का एक मंत्र में महत्व माना जाता है ना |
Bharatiya Baigyanikata आदित्य हृदय स्रोत को जाप करने से हार्ट पर यह पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है |
यदि आने वाले टाइम में हम रिसर्च करे | और 10 साल बाद या 15 साल बाद कोई क्लिनिकली यह प्रूव कर दें | अनुस्टुप छंद से आदित्य हृदय स्रोत को जाप करने से हार्ट पर यह पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है | तो हमें दुनिया से कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी की अमुक भाषा सीखो | फिर आप देखिए जैसी दीवानगी इस समय विदेशी भाषाओं के लिए दिखती है | उससे अधिक दीवानगी ना दिखने लगे आने वाले समय में |
बास्तबिकता ये है हमरे पूर्बज लिखना नहीं जानते थे नहीं बो लिखना नहीं चाहते थे |
सोचिए हमारे मन में एक और बात भर दिया जाता है | सब हमारे यहां तो ऐसा था की वो लोग लिखना नहीं जानते थे | इसलिए बोल बोल कर गुरु शिष्य परंपरा में उसको आगे ले जाते थे | अब यह बताइए जिन लोगों ने खगोलीय गणना कर ली | की भगवान राम के जन्म के समय के ग्रह नक्षत्र को प्लेनेटोरियम सॉफ्टवेयर में डालिए तो 7114 इयर्स बिफोर का समय आ जाता है एक्जेक्ट |
वो कितना सही है वो उन्होंने नक्षत्र सही गणना की वो तो अलग विषय है | परंतु आप ये बताइए इतना एग्जैक्ट कैलकुलेशन ट्रिगोनोमेट्री ज्यामिति आयुर्वेद अंकगणित उपनिषद जैसा ज्ञान | और वो लोग लिखना नहीं जानते थे | यह बात तर्कसंगत लगती है | अगर कोई यह कहे तो ये बात अतार्किक नहीं यह मूर्खतापूर्ण लगती है | और अगर यह भी कह दिया जाए की ये पागलपन लगता है तो अतिशयोक्ति ना होगी | बास्तबिकता ये है बो लिखना नहीं जानते थे नहीं बो लिखना नहीं चाहते थे | कियूं की उस समय बिद्या का स्वरुप दूसरा था |
Bharatiya Baigyanikata,आध्यात्म में माइंड से माइंड ट्रांसफर है, वो सॉफ्ट कॉपी है |
जैसे आज आप कहते हैं हार्ड कॉपी भेजो या सोफ्ट कोपी भेजो | हार्ड कोपी मतलब पेपर सोफ्ट कोपी मतलब मोबाइल पे ट्रांसफर कर दो | तो पहले क्या था एक दौर में जब ताम्र पत्र के ऊपर लिखा जाता था बो हार्ड कॉपी थी फिर भोज पत्र सोफ्ट कॉपी हो गई |फिर भोज पत्र तो हार्ड कॉपी हो गई कागज सॉफ्ट कॉपी हो गई | अब कागज हार्ड कॉपी है और यह डिजिटल कॉपी है वो सॉफ्ट कॉपी है | और अगला चरण क्या हो सकता है | जो डिवाइस के अंदर ट्रांसफर है वो हार्ड कॉपी है | और जो माइंड से माइंड ट्रांसफर है वो सॉफ्ट कॉपी है | और उसके पीछे Bharatiya Baigyanikata का कारण भी है |
जैसे आप किसी से कहें संस्कृत का राग आप किसी को लिखकर समझा सकते हैं,नहीं | अब मैं पुन आ रहा हूं | भाषाओं के अंदर जिनके अंदर वैज्ञानिकता और धन्यात्मकता है | वो धन्यात्मकता बोलकर ही बताइ जा सकती है | वो लिखकर नहीं बताई जा सकती है | जैसे छोटी e बड़ी Eआप बोलकर आप बता सकते हैं लिखकर नहीं बता सकते | और हमारे यहां तो हर मंत्र का एक लय हर चीज एक छंद में लिखी गई है | वैदिक गणित के श्लोक भी छंदो में लिखे गए हैं | छंद बोलकर बताए जा सकता है लिखकर नहीं |
शिव तांडव स्रोत, लय ,प्रलय और साइंस थ्योरी |
जैसे उदाहरण के लिए आजकल बहुत प्रचलित है शिव तांडव स्रोत | अब कभी आप उसे पर ध्यान दें तो उसके अंदर जो एक रिदम है की
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम् ॥१॥
अब मत चुनौती से कहता हूं कोई डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं, लिख के समझा दे | इसलिए मैं कहता हूं उन्होंने और उनकी तो अभी साइंस आ जाकर पहुंची | अब एक नई जो लेटेस्ट थ्योरी आफ्टर हैक्स बॉसऑन आने लगी है | आप सब ने सुना होगा स्ट्रिंग थ्योरी | स्ट्रिंग थ्योरी ये कहती है की सब वेव्स है | और पार्टिकल क्या है |
जहां पर दो वेव्स का सुपर इंपोजिशन होता है | वहां पर एक पैकेट ऑफ एनर्जी बन जाता है | वो पार्टिकल की तरह बिहेव करने लगता है | हमारे यहां तो सदा से कहा गया की संपूर्ण विश्व जो है वो एक लय के कारण अस्तित्व में है | इसीलिए डुम की जो हिंदी संस्कृत या भारतीय भाषा में क्या कहा गया प्रलय | लय समाप्त हो गई तो प्रलय आगई | लय अस्तित्व में आई तो जगत का अस्तित्व में आगया | इसलिए सृजन भी लय से होता है | और जब शिव तांडव करते हैं तो वो भी लय के साथ करते हैं | इसीलिए मैथमेटिक्स हो या आयुर्वेद के श्लोक हो सबके सब लय में हैं | ये Bharatiya Baigyanikata हैं |
हमारा ऊपर प्रयोग किया गया उस कन्फ्यूजन से हमें बाहर निकलना होगा |
मैंने सिर्फ ये कहा इसको समझने में कई बार हमारे मन में गहरा कन्फ्यूजन है | उस कन्फ्यूजन से हमें बाहर निकलना होगा | जैसा की अभी कहा की अंग्रेजों ने इसे गहरा तो जरूर किया | मगर दुख की बात है की जब हम बाहर आए मतलब स्वाधीन हुए | तो हमारे तंत्र में स्व नहीं था | इसको और ज्यादा गहरा करने का काम स्वतंत्रता के बाद हुआ | और ये मैं इसलिए भी कहना चाहता हूं |
की अगर आप लोग कभी ध्यान दें | अब तो बहुत सारे आर्टिकल्स बहुत सारे फैक्ट्स दी क्लासिफाइड होकर विदेशों से बाहर आ गए हैं | एक के.जी.बी का जासूस था जिसका नाम था यूरी बैच में देव | जो 70 और 60 के दशक में भारत में पत्रकार बनकर रहता था | 91 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वो कनाडा भाग गया | और उसने बाद में वहां जाकर जो इंटरव्यू दिया है वह बहुत महत्वपूर्ण है |
इंडियन कल्चर को डिस्ट्रॉय करने का काम चरणबद्ध तरीके से किया जानेका योजना |
उसने कहा की भारत में जब वो था तो उसे काम दिया गया था की इंडियन कल्चर को, डिस्ट्रॉय करना है |और डिस्ट्रॉय करने का काम चरणबद्ध तरीके से करना है | पहला चरण क्या था की ऐसी व्यवस्थाओं का वातावरण का विचारों का निर्माण करना है | की आपको लगने लगे हमारा समाज हमारी धर्म हमारी संस्कृति, Bharatiya Baigyanikata, सब कुछ गलत है | उसने उसको नाम दिया स्टेज ऑफ डिमोरलाइजेसन | 15 से 20 साल में स्टेज ऑफ डिमोरलाइजेसन देना | और ये भी था ये 15 से 20 साल क्यों | एक जेनरेशन स्कूल से शुरू होकर यूनिवर्सिटी तक पहुंचती है |15 से 20 साल में जब कंप्लीट हो जाए |
तो नेक्स्ट क्या होगा स्टेज ऑफ दी स्टेबलाइजेशन अब जगह-जगह आंदोलन शुरू करो | उन मुद्दों को लेकर जो वास्तविकता में थे नहीं | हमने क्रिएट की है | वो 15-20 साल का समय है | और जब अंत थर्ड स्टेज की आएगी स्टेज ऑफ रिवॉल्यूशन | अब उन दोनों को हिंसात्मक और अग्र सरूप देना शुरू करो | एंड डी फाइनल स्टेज विल बी जिसको उन्होंने कहा स्टेज ऑफ नॉर्मलाइजेशन | जनि एक बार ससक्त क्रांति द्वारा सत्ता हमारा हात में आगया | अब किसी को कुछ नहीं बोलने देना है | इसीलिए मुझे बड़ा आश्चर्य होता है | देखिए हमें बहुत से शब्दों से भी बाहर निकलना होगा |
लेफ्ट लिबरल मतलब मैं एक बहुत ही भक्त नास्तिक हूं |
आज हम बहुत से सुनते हैं लेफ्ट लिबरल | यह बताइए लेफ्ट कभी लिबरल होता है | दुनिया में कोई कम्युनिस्ट कंट्री बताइए जो लिबरल हो | अगर कोई लेफ्ट लिबरल कहे तो ये ऐसा लगता है | जैसा वो कहे की आई एम अ डिवाउट athiast मतलब मैं एक बहुत ही भक्त नास्तिक हूं | सही कहना है की लेफ्ट लिबरल हो | तो उन लोगों ने पहले लिबरलिज्म का वो उड़ाओ | फिर उसके बाद उन्होंने कहा आप सब कुछ समाप्त | और मगर उसने कहा की जब मैंने अध्ययन किया | तो मैं तो संस्कृति का मुरीद हो गया | मेरे मन में तो उसके प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई | ये कितनी महान संस्कृति है | इसमे पूरा Bharatiya Baigyanikta छुपा हुआ है |
और उसने कहा मेरे लिए इतनी खतरनाक बात थी | अगर ये बात उस समय खुल जाती तो मुझे सुनबाई का मौका नहीं दिया जाता | सीधे मुझे समाप्त कर दिया जाता | पर मैं जो कर सकता था मैंने क्या | अब आगे महत्वपूर्ण बात जो कह रहा है | उसने कहा की हम उस समय बहुत से बुद्धिजीवियों को विचारकों को यूरोप और रूस के दौरे पे ले जाते थे | और कहां उनको लगता था की हम बहुत बड़े पत्रकार हैं | बहुत बड़े बुद्धिजीवी हैं, बहुत बड़े प्रोफेसर हैं, बहुत बड़े कलाकार हैं | इस कारण यह ले जा रहा है | कहां उनको ले जा के 20 दिन 25 दिन रह के सिर्फ हमारे लोग ऑब्जर्व करते थे की कौन सा व्यक्ति हमारे लिए उपयोगी हो सकता है |
दे आर यूज फुल इडियट्स ( वे उपयोगी पूर्ण मूर्ख हैं ) |
और फिर आने के बाद हम उसका क्या उपयोग कर सकते थे वो करते थे | उन्होंने समझाने केलिए एक वर्ड यूज़ किया की | दे कंसीडर देंम सेल्फ एज ए इंटरकचुअल स्टार वार्ड | बट इन आवर ओपिनियन दे आर यूज फुल इडियट्स | अब आज समस्या क्या है की बहुत से लोग ऐसे अभी भी उस बुद्धि से ग्रस्त हैं | और उस विषय को वह समझ नहीं पा रहे हैं | तो आज की युवा पीढ़ी है, देखिए आज कुछ भी कहे सबसेज्यादा इन लोगों को टेक्नोलॉजी ने मारा है | पहले व्हाट्सएप नहीं था ठीक है | मैं नहीं कहता व्हाट्सएप पे बहुत सी चीज गलत है | पर आज इंटरनेट चाहे व्हाट्सएप हो फेसबुक हो उसने आपको यह अधिकार दिया |
टेक्नोलॉजी से सचाई कैसे बाहर निकलता है और झूठे मार खाते हैं |
यदि आपके अंदर सत्य को अन्वेषण करने की इच्छा है | तो 80-90 तक आप सच्चाई के नजदीक केवल सर्च करके जा सकते हैं | पहले यह हथियार नहीं था तो वो अपना एक छत्रिय राज्य बनाने में सफल हो जाते थे | अब वो ऐसा करने में सफल नहीं होते हैं | उसी प्रकार से वो टेक्नोलॉजी से कैसे मार खाए | आप याद करिए जब राम जन्मभूमि का विषय चल रहा था |
तो पहले क्या स्टैंड लिया की ये खाली जमीन पर बनी थी| अब उन्हें क्या पता था की भविष्य मे राडार मैपिंग की टेक्नोलॉजी आ जाएगी अटल जी की सरकार के समय रडार मैपिंग टेक्नोलॉजी आ गई | भाई यही तो कहा था ना कोर्ट ने खुदाई नहीं कर सकते | हमने रडार मैपिंग की | रडार मैपिंग में नीचे दिख जाता है की समतल जमीन है की स्ट्रक्चर है | अभी स्ट्रक्चर दिख गया तो हाई कोर्ट के सामने रखा गया |
बार बार झूट बोलकर सच को छुपा नहीं जा सकता | चिंतन में Bharatiya Baigyanikata
उन्होंने अपना स्टैंड चेंज कर लिया| इस स्ट्रक्चर दिख गया तो बोले खली जमीन नहीं ईदगाहो बना था कोई बात नहीं |अब जब कोर्ट ने परमिशन दिया की स्ट्रक्चर दिख रहा है | तो खुदा ही कर दीजिए | अब खुदाई में जो खंबे निकलने लगे | फिर उन्होंने स्टैंड चेंज किया की नहीं ये तो जैन मंदिर था | तो यह सुप्रीम कोर्ट की बात नहीं कर रहा हूं | जब हाई कोर्ट में ये मुकदमा चल रहा था | लखनऊ बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट, कोर्ट ने पूछा की भाई आपका स्टैंड क्या है | आप बार-बार बदल क्यों रहे हैं | की खाली जमीन पर था, ईदगाह पे था | अब जब उसने वारा वगैरा सब निकल आए | अब वो कहते नहीं साहब ये तो खंबे ला के रख दिए गए | वो तो 72 बड़े-बड़े खंबे ला के कहीं से रख दिए गए |
जबकि उसकी पुरी वीडियो ग्राफी हो रही थी | और उसमें बस एक उदाहरण भी दे देता हूं की कोर्ट ने उनसे यह भी कहा | देखिए जो लोग कहते हैं ना प्रमाण के आधार पे | एकदम हम तो हर चीज का प्रमाण ने को तैयार है | देखिए प्रमाण के आधार पर तय होना था | तो कोर्ट ने उनसे पूछा की आप ज्योति आप अपनेपक्ष में इतिहासकार ला सकते हैं जो प्रमाण दे | हमारे पक्ष में जो इतिहासकार थे | उसमें एसपी ग्रोवर साहब गुप्ता जी, डॉक्टर देवेंद्र स्वरूप, डॉक्टर हर्ष नारायण थे | और उधर से आप समझ सकते हैं | वही सूरज भान आर एस शर्मा वगैरा वगैरा जेएनयू ब्रांड थे | और वो अपने खुद नहीं आते थे | अपने प्रतिनिधियों के द्वारा जाते थे |
पहले विश निकलना होगा तब अमृत का साक्षात्कार होगा | चिंतन में Bharatiya Baigyanikata
अब देखिए वहां पर तो प्रचार नहीं चल सकता | तो कोर्ट ने कहा ये बताइए आप इतिहास में असिएंट हिस्ट्री आपका विषय है | तो उसमें से ज्यादातर लोगों ने लिख के दिखाए असिएंट हिस्ट्री हमारा विषय नहीं थी | अभी इतिहास में दो विषय होते हैं कल्चर यानी जो आपने पढ़ा | और आर्कियोलॉजी यानी खुदाई | तो यह विषय खुदाई संबंधित था | तो पूछा गया की आर्कियोलॉजी आपका मिशन | NO लिख के दिया की आर्कियोलॉजी हमारा विषय नहीं है |अब तो दस्तावेजों का परीक्षण होगा | तो दस्तावेज दो ही भाषाओं में थे | संस्कृत या फारसी तो उनसे पूछा गया की आपको संस्कृत और फारसी आती है |
तो आश्चर्य की बात है सब ने लिख के भेजा की साब फारसी छोड़िए हमको संस्कृत भी नहीं आती है | जबकि हमारी तरफ के जो विद्वान थे उन्हें दोनों आती थी | डॉक्टर हर्ष नारायण जितने बड़े संस्कृत के विद्वान थे इतने बड़े फारसी के विद्वान थे | की जब बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी वाले लोग कोई फारसी का दस्तावेज देते थे | और उसे ट्रांसलेट करते थे | तो वह वेरीफाई करने के लिए उनके पास जाता था | की भाई ट्रांसलेशन सही है या नहीं हमें क्या पता क्या है | मगर उनकी महानता देखिए यानी वह दिखाई जानते थे, ना खुदाई जानते थे और दावा ये की सारी खुदाई जानते थे | मगर कोर्ट में वो मामला चारों खाने चित्त हो गया | जैसे आज हम स्वतंत्रता की अमृत महोत्सव में आ गए तो पहले विश निकलना होगा तब अमृत का साक्षात्कार होगा | और विश निकलने के लिए हमारे अंदर एक कॉन्फिडेंस भी आना होगा | क्रमश .....
Part1:- Bharat ka swatantrata aur swadhinata ka swo kya hai ?
Part2:-Bharatiya Adhyatmikta Bapsi hoga Jab swo ku Pehechanenge.
Part3:-Bharatiya Baigyanikata, Adhyatma aurVideshi Manasikata.

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