शिक्षा और प्रेरणा के साथ अच्छी चरित्र निर्माण , भारत की जगत गुरु का पेहेचान |

शिक्षा और प्रेरणा का महत्व भारत में : एक दृष्टिकोण  |

शिक्षा और प्रेरणा के महत्व को समझना बहुत जरूरी है | बिशेष कर भारत की शिक्षा प्रणाली, कियुकी यह न केवल व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करता है, बल्कि देश की समग्र प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम उत्तराखंड के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान की बात करते हैं | तो यह जानना आवश्यक है कि शिक्षा का हमारे जीवन में कितना महत्व है। इस संदर्भ में, आइए कुछ प्रमुख विचारों पर ध्यान दें | जो हमें अपने उद्देश्य और भविष्य की दिशा को स्पष्ट करने में मदद करेंगे।

                                                                 

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शिक्षा और प्रेरणा से व्यक्तिगत विकास

शिक्षा और प्रेरणा व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य समझने में मदद करती है। जब किसी विद्यार्थी को उचित शिक्षा के साथ सही दिशा में प्रेरणा मिलती है, तो वह केवल परीक्षा पास करने वाला नहीं, बल्कि समाज का जिम्मेदार नागरिक बनता है। महान विचारकों जैसे Swami Vivekanandaस्वामी विवेकानंद, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, A.P.J. Abdul Kalamऔर महात्मा गांधी Mahatma Gandhiने हमेशा कहा कि सच्ची शिक्षा वही है जो इंसान के अंदर चरित्र, अनुशासन और आत्म-विश्वास जगाए। यही कारण है कि भारत सदियों से “विश्व गुरु” कहलाता आया है।

उत्तराखंड का शिक्षा और प्रेरणा की ऐतिहासिक भूमिका |

उत्तराखंड का शिक्षा क्षेत्र भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जैसे कि रुड़की विश्वविद्यालय । फंक्शन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम से शुरुआत हुआ । जो भारत में पहली इंजीनियरिंग डिग्री देने वाला संस्थान था ।  इसका योगदान अपूर्व है। और भारत में आजादी के बाद अगर सबसे पहले इडली में राधा-कृष्ण कमिटी के रिकमेंडेशन फॉर एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी बनी। तो भारत में कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की शुरुआत पंतनगर में हुई । जो उत्तराखंड में स्थित है। ये संस्थान न केवल भारत, बल्कि विश्व में अपनी शिक्षा गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं। यह हमें यह बताता है कि उत्तराखंड ने शिक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। और इससे भी आगे बढ़कर तभी अलग अनुभूति होती है जब आप  खुद को देखते हैं |

मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के ओनर स्टीव जॉब्स का भारत से शिक्षा और प्रेरणा लेना |

 आप सभी लोग WhatsApp,Facebook यूज करते हैं | और जब इसके ओनर  मार्क जुकरबर्ग ने कहा था | कि एप्पल फोन के ओनर स्टीव जॉब्स ने उससे कहा था | कि अगर जिंदगी में कभी तुम्हें लगे कि तुम हताश हो गए हो | निराश हो गए हो कोई राह नहीं दिख रही है | तो तुम क्या करना तुम भारत में जाना  | नैनीताल जिलेमें एक कि ऋषि आश्रम है नीम करोली बाबा का | वहां पर जाना वहां से तुम को नई ऊर्जा मिलेगी | जब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने भारत का दौरा किया, तो उन्होंने यह बताया कि जब वे निराश महसूस करते थे |
 
तो वे भारत के नैनीताल जिले में स्थित नीम करोली बाबा के आश्रम में जाते थे। यह प्रेरणा उन्हें एक नई दिशा देने में मदद करती थी। जब  मार्क जकरबर्ग भारत आए थे तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के साथ बातचीत ने भी यह बात कही | तो आप समझिए कि जहां से इतना बड़ा इंस्पिरेशन मिलता है | भारत आज वर्ल्ड की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक नहीं | सबसे ज्यादा ऑल परवेसिव कंपनियों में से एक | जो हर आदमी के हाथ तक है | वहां तक यहां से इंस्पिरेशन जाता है | तो यह भारत की भूमिका को भी दर्शाता है | और उसमें उत्तराखंड की भूमिका को भी दर्शाता है | इस उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान भी वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है।

अगर आपको लीडर बनना है |

अगर हम कहें है तो |  If you want to become a leader in the education then what you have to do. कि बहुत स्पष्ट बात यह कहें कि अगर आप एक्जिस्टिंग चीज को फॉलो करते हैं | तो यू कैन विक्म प्रॉस्परस, यू कैन अट्टेन ए गुड पोजिशन,  गुड प्रोस्पेरिटी, गुड life, गुड luxury | बट अगर आपको लीडर बनना है तो एग्जास्टिंग चीज में से अलग हटकर आपकी एक दृष्टि होनी चाहिए |  कि व्हाट इज going to be in the future  and accordingly you can decide it . इसका एक example देना चाहता हूं |

अमेरिका भी पावर सेंटर बन गया |

जब अमेरिका ने अपना एटम बम प्रोजेक्ट स्टार्ट किया | The name of the project,Project for मैनहैटन | Before the first Atomic explugion was done 16th जुलाई 1945 |1945 में प्रोजेक्ट मैनहटन चला था | तो उस समय प्रेसिडेंट थे ट्रूमैन और ट्रूमैन के एडवाइजर थे जिनका नाम था एडमिनर विलियम ले | एडमिनर विलियम ले ने कहा कि मिस्टर प्रेसिडेंट दीस प्रोजेक्ट मैनहैटन इस गोइंग टू बी अदर फॉलोऔर | दीस प्रोजेक्ट बील नेवर टेक ऑफ, दिस आई एम सेइंग एज एन एक्सपर्ट एन्ड एक्सप्लोजिव |अब बताइए यह सही है कि गलत है | वह सही थे | बिकज टिल दाट टाइम द साइंस ऑफ एक्सपोज्सव ओनली लिमिटेड टू द केमिकल फोर्स इस अवेलेबल इन द एक्सप्लोसिव मैटेरियल |

जो एक्सप्लोजन होता है बो केमिकल रिएक्शन से होता है | बट जिसकी बात हो रही थी वह एटॉमिक फॉरस था | केमिकल रिएक्शन क्या है | जो क्रिएशन एंड डिसोल्यूशन आफ द आटम्स इन क्रिएटिंग एंड इवॉल्विंग मॉलिक्यूल्स | जानी व आटम के बाहर हो रहा था | आटम के अंदर गए तो एनर्जी कुछ और थी | वहां तक उन नहीं देख पा रहे थे | इसलिए जब उन्होंने देखा और वह एटम बम बना और उसका बाद वर्ल्ड का पावर स्ट्रक्चर चेंज हो गया | प्राइड टू सेकंड वर्ल्ड वॉर द पावर स्ट्रक्चर फॉर पावर सेंटर्स इन यूरप् | उसका बाद अमेरिका भी पावर सेंटर बन गया |

शिक्षा और प्रेरणा में नवीन दृष्टिकोण और नेतृत्व

तो आप यह समझिए कि जब जो दिखाई पड़ रहा है उस पर रिसर्च करेंगे जो ठीक है |पैसा प्रॉपर्टी मिलेगी | जो नहीं दिखाई पड़ रहा है | उसकी तरफ जाएंगे तो आपको एक नई दुनिया मिलेगी | इसको कुछ ऐसे समझिए | ऐसे है कि समंदर की सतह पर आप अपना जहाज चलाते चले जाएंगे | एक शहर देखने को मिलेगा | दूसरा देखने को मिलेगा, एक देश देखने को मिलेगा | दूसरा कुछ  देखने को मिलेगा | मगर उसी समंदर में आप नीचे उतरना शुरू करेंगे | तो कहीं पर्वत मिलेंगे कहीं पेट्रोलियम मिलेगा | वहीं दूसरी एनर्जी मिलेगी तो वह वह चीजें मिलेंगी जो सतह कि दुनिया को बदल सकते हैं |

भारत को उस मुकाम तक पहुंचाना है |अमृत काल का अमृत प्राप्त होगा |

स्टूडेंट्स के लिए ये कहना है की हम स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में है या अमृत काल में है |अमृत काल मतलब हम और कुछ साल बाद 2047 में स्वाधीनता का सत बार्षिक मनाएंगे | अमृत काल 75 साल से 100 साल  | इस 25 साल में भारत को उस मुकाम तक पहुंचाना है | जो हमारा लेजिटीमेट लक्ष  था | तो वह कैसे पहुंचेगा | अगर हमारा लक्ष्य इतना ही रहेगा बच्चों का | बच्चों अच्छे इंस्टीट्यूट से डिग्री प्राप्त कर लिए | फिर बहुत अच्छा हुआ तो एक Foreign  institute से डिग्री प्राप्त कर लिए | बहुत बड़ी कंपनी में जाकर बढ़िया नौकरी की | लाखों रुपए महीने की या बहुत हुआ तो एक अच्छा खासा बिजनेस कर लिया | और उसके बाद जिंदगी खत्म | ये करके क्या अमृत काल का अमृत प्राप्त होगा | जिसके लिए अकबर इलाहाबादी का एक बड़ा फेमस शायर है |

कि क्या कहें एहेबाब(उर्दू में दोस्त) क्या कारे-नुमाया कर गये, ग्रेजुएट हुए, नौकर हुए, पेंशन मिली और मर गए | तो इसमें आप फाइनली सिर्फ कितना अचीव करेंगे | बट अगर आप यह देखेंगे कि फ्यूचर की टेक्नोलॉजी यूज किया है | जैसे जो E mergeहोने वाला है जो अभी दिख रहा है | आपको लगता है इसमें कुछ हो सकता है |  मेरा मानना है कि भारत के बच्चों को अगर यहां पर अच्छे सिचुएशंस में रिसर्च करनी है |  विदेश में रिसर्च करने जाना है | तो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में जाएं, कंपोजिट मैटेरियल में जाएं, जीनोम सिक्वेंसिंग में जाएं ,नैनोटेक्नोलॉजी में जाएं, स्पेस टेक्नोलॉजी में जाएं, यह वह चीजें हैं जो फ्यूचर में जाकर विमर्श करेंगी | और अगर आप अभी से इसमें जा सकते हैं | तो आप सोचिए तब आप फ्यूचर को प्रभावित कर सकते हैं |

भविष्य में बड़ी सफलता कैसे मिलेगी | शिक्षा और प्रेरणा

आज के शिक्षा प्रणाली में, यदि कोई छात्र सिर्फ डिग्री हासिल करने तक सीमित रहता है, तो वह अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता। सफलता के लिए एक नई दृष्टि की आवश्यकता है। एक विद्यार्थी को अपने क्षेत्र में नवीनता, शोध और विकास की दिशा में विचार करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनोटेक्नोलॉजी, जीनोम सिक्वेंसिंग,कंपोजिट मैटेरियल ,स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में शोध करने से भविष्य में बड़ी सफलता मिल सकती है।

भबिस्यत्त सभ्यता की श्रेणियाँ तीन स्तरों में विभाजित होंगी |

एक और बात समझिए As far as द लेवल ऑफ टेक्नोलॉजी concerned | एक बहुत बड़े critical physiocist हैं | मिशियो काकू उन्होंने यह स्ट्रेटिफिकेशन दिया है | भबिस्यत्त सभ्यता की श्रेणियाँ तीन स्तरों में विभाजित होंगी (The civilisation Catagories will fall into three levels.) level-1, level-2, level-3.  लेबल-1 सिविलाइजेशन इन टर्म्स ऑफ़ टेक्नोलॉजी इज दैट | आप जिस प्लानेट पर रहते हो उस प्लानेट की सारी एनर्जी, इसको सिर्फ Explour कर लिया हो | और उसे यूटिलाइज करना आ गया है | और लेवल-2 है कि वह अपने प्लानेट से बाहर निकलकर जिस सोलर सिस्टम में रहता है उस सोलर सिस्टम की सारी लेटेस्ट Energy को आईडेंटिफाई करके उसे यूज करना आ गया है | लेवल-3 बो है कि बीऑन द सोलर सिस्टम गैलेक्सी इसमें जितनी गैइलेक्ट्रिक एनर्जी है उनको यूज कर लिया हो |

अब लुक एट दिस पैरामीटर अभी तो हम अपने ही प्लैनेट्स की कुछ एनर्जी को आईडेंटिफाई कर पाए | पेट्रोलियम है, गैस है, और एयर है, वाटर है अभी तो टोटल एनर्जी यहां की बची हुई है | तो  in a way we are some how लाइटली जीरो लेवल सिविलाइजेशन |तो हम ये गलत फेमि में नहीं रहनी चाहिए हमने कोई बहुत बड़ा अचीवमेंट कर लिया है | तो मैंने सिर्फ यह बताने की कोशिश की कितना एक्सप्लोर करने को बाकि है |

अच्छी एजुकेशन और अच्छी जॉब में पिस एन्ड प्रोस्पेरिटी की गारंटी नहीं है |

और जब हम उसको एक्सप्लोरर करेंगे then we will be एबल टो अचीव व्हाट is the actual  रियलिटी | और Whether they कैन टेक बैक their डिसाइड पोजीशन | अब इसके बाद एक दूसरी चीज आती है | अब मान लीजिए आपने बहुत अच्छी टेक्नोलॉजी अचीव कर लिया पर्चेस साल बाद | dominate करने  लगे क्या बनना चाहते हैं | Some body Wants to become an Engineer, वांटस टो बिकम ए डॉक्टर, वांटस टू बिकम ए साइंटिस्ट | वांटस टो हैव ए जॉब | वेरी गुड जॉब ब्रट बाई सम स्टूडेंट्स |

Inspire And ड्रीम फॉर हेविंग वेरी गुड जॉब इन यूएस | और some one wants to be a millionaire. पर क्या इससे Prosperity आती है | कि आप डॉक्टर बनेंगे तो डॉक्टर बनकर भी आप अफजल गुरु बन सकते हैं | कि आप सोशल मीडिया एक्सपोर्ट बनेंगे तो वह बनकर भी कोई बुरहान वानी बन सकता है | अगरकोई यह समझेगा कि वह बहुत अच्छा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनेगा तो वह याखूब मेहनन बन सकता है | और जो यह सोचे कि अमेरिका में मुझे शानदार जॉब मिल जाएगा | उसके बाद जिंदगी खुश हो जाएगी | तो 19-11 करने वाले खाली शेख, मोहम्मद अड्डा भी बन सकता है | यह मैंने सिर्फ इसलिए आपसे कहा कि अच्छी एजुकेशन और अच्छी जॉब में पिस एन्ड प्रोस्पेरिटी की गारंटी नहीं है |

कंपरिजन बिटवीन इंफोसिस एन्ड अलकायदा |मोटिवेशन इज मोर इंपॉर्टेंट देन एजुकेशन |

और में यह ऐसेही नहीं कहा रहा हूं | यु ऑल हियर्ड द नेम ऑफ वेरी फेमस राइटर टोम प्रिंट मेन | हु हाज रिटन ए वेरी फेमस बुक द वर्ल्ड इस स्लाइड उन्होंने 2001 में न्यूयार्क टाइम्स में एक आर्टिकल लिखा था | जानते हो उस आर्टिकल का शीर्सक क्या था | कंपरिजन बिटवीन इंफोसिस एन्ड अलकायदा | यू कैन से, हाउ इट कैन वि कंपेयर्ड  | ही सेड, यस देअर आर सेवरल नम्बर अफ कंपयरेबल एलिमेंट्स | नंबर बोथ स्टार्टेड एट द सेम टाइम | बोथ एम्पावर्ड बाय द पावर ऑफ यूथ | बूथ आर हैविंग डेडिकेटेड यूथ | बूथ आर हैविंग टैलेंटेड यूथ | बोथ हेब गट द ग्लोबल प्रेजेंस | एक साथ, बस अंतर क्या था वन फर द डिस्ट्रक्टिव कज अनदर फॉर द कंस्ट्रक्टिब  कज | वास ए है , इसलिए इंफोसिस में मिलेनियर बनके

नारायणमूर्ति फेमस बनते हैं | और अल कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन भी मिलेनियर, बिलेनर था | इट मींस एजुकेशन इज इंपोर्टेंट बट मोर इंपॉर्टेंट इस मोटिवेशन बिहाइंड द एजुकेशन | समटाइम आई केन से मोटिवेशन इज मोर इंपॉर्टेंट देन एजुकेशन |

भारतीय गाँधी और जर्मन का हिटलर में फरक |

अब मैं थोड़ा पीछे ले जाता हूं आपको | द इंडिया ऑफ़ डिकेड 1930-1940 |1930 सताब्दी में भारत सर्बाधिक निरक्षर हार देश में परिगणित था | स्वक्षरता हार 7% या 5% था | उस टाइम जर्मन बिस्व में सबसे अधिक स्वाक्षर और शिक्षित हार में अधिक था | हमारा भारत में स्वक्षरता हार इतना नहीं था जर्मन में जितना ग्रेजुएट हार था |

भारत राजनीतिक स्तर में पराधीन था | जर्मन बिस्व में शक्तिशाली देश में से एक था | भारत अर्थनैतिक स्तर में बहुत पीछे और जर्मन बहुत आगे था | लेकिन अंतर देखिए  | पॉलिटिकली सबजूगेट, अनएजुकेटेड ,इकोनॉमिकली डिजस्टर्ड इंडिया कंट्रीब्यूटेड टू द वर्ल्ड विथ गांधी | एंड एजुकेटेड पावरफुल इकोनॉमिकली सुपीरियर जर्मनी कंट्रीब्यूटेड टू द वर्ल्ड विथ हिटलर |

शिक्षा से अधिक प्रेरणा का महत्व, अच्छी शिक्षा के साथ प्रेरणा भी अच्छी होनी जरूरी है |

तो इसका मतलब होता है कि यह डिफरेंस कहां से आता है | तो हमें यह समझना चाहिए कि एजुकेशन से ज्यादा मोटिवेशन इंपोर्टेंट है | शिक्षा का महत्व उतना ही है जितना कि प्रेरणा का। आप कितना भी अच्छा शिक्षित हों, अगर आपके पास प्रेरणा नहीं है, तो आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सकते। यह विचारणीय है कि आज के विद्यार्थी किस प्रकार की प्रेरणा से प्रभावित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति केवल अच्छा डॉक्टर बनकर संतुष्ट नहीं हो सकता, उसे समाज में योगदान देने की भावना रखनी चाहिए। यही भावना उसे एक अच्छे नागरिक और प्रेरक नेता बना सकती है।

शिक्षा हमें ज्ञान देती है, लेकिन प्रेरणा हमें उस ज्ञान को सही दिशा में प्रयोग करने की शक्ति देती है। शिक्षा अगर सही मार्गदर्शन के बिना हो, तो वह केवल कागज पर लिखे शब्दों के समान हो सकती है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज में बदलाव लाना और नई दिशा देना भी होना चाहिए।

ज्ञान से ज्यादा चरित्र का महत्त्व है |

अब आप यह देखिए कि हमारे यहां, यहां कहीं भी नॉलेज की बात आती थी | तो नॉलेज एक चीज थी उससे ज्यादा इंपोर्टेंट थी वैल्यूस | अब आप कल्पना करिए भगवान राम और रावण में |तुलना करिए तो नॉलेज विल कौन ज्यादा था | देखिए वैसे तो भगवान राम ब्रह्म के प्रतीक है | वह तो एक अलग विषय है |  कि वह ब्रह्म है तो ज्ञान पर वह लीला कर रहे हैं मानव रूप में | तो रावण ज्ञानी ज्यादा है |  फिर भी राम कियूं जीत रहे हैं | रावण के पास पैसा ज्यादा है | सोने की लंका है |रावण के पास पावर ज्यादा है | सब कुछ उसके पास है फिर भी राम क्यों जीत रहे हैं | क्योंकि जब रावण हर चीज में ज्यादा | यहां तक कि रावण पुजारी रुप में भी ज्यादा बड़ा है |

भगवान शंकर का बड़ा पुजारी वह है |  वह कहता मुझसा पंडित, मुझसा जोधा और न कोई दूजा है | अपने सर को काट-काट शंकर को मैंने पूजा है | तो इतने बड़े पुजारी तो राम भी नहीं है | कि सर काट-काट पूजा करते हो | फिर भी राम की कौन सी श्रेष्ठता है | जो रावण की समस्त योग्यता और शक्ति पर भारी पड़ जाती है | वह है चरित्र| इसीलिए तुलसी दास ने राम चरित मानस  लिखा  |

राम के चरित्र को मन में धारण करिए | ज्ञान की तुलना में जीवन में मूल्य अधिक महत्वपूर्ण है। यह उदाहरण भगवान राम और रावण से समझा जा सकता है, जहां रावण ज्ञान में राम से अधिक था, फिर भी राम की श्रेष्ठता उनकी नैतिकता और चरित्र में थी। रावण के पास समृद्धि, शक्ति, और धन था, लेकिन उसका अहंकार और गलत दिशा में जाना उसे पतन की ओर ले गया।

हम विश्व के जगतगुरु थे | हमारी प्राचीन शिक्षा और प्रेरणा व्यवस्था |

और आज प्रॉब्लम क्या हो गई अब मैं इस पर आ रहा हूं | इसीलिए हमारे यहां प्राचीन काल में हम्म वर्ल्ड के सिर्फ टीचर नहीं थे | हम वर्ल्ड के नॉलेज बेस के सेंटर नहीं थे | हम विश्व के जगतगुरु थे | आज स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं किसलिए पढ़ने आते हैं | इट इज एक्यूअरिंग आफ सम नॉलेज एंड इनफॉरमेशन | बो आज तो बुक्स में अवेलेबल है | इंटरनेट पर अवेलेबल है | अगर आप इंजनियरिंग के विद्यार्थी हैं | और आपके मन में इकोनॉमिक्स के लिए इंटरेस्ट हो जाए | एक साल में 10,20 किताब इकोनॉमिक्स की पढ़ लीजिए आप इकोनॉमिक्स की एक्सपार्ट बन जाएंगे |  फिर क्या जरूरत है यूनिवर्सिटी मैंआने कि |

यूनिवर्सिटी मैं आने कि इसलिए जरूरत है कि यूनिवर्सिटी आपके विचारों को संस्कारों को सही दिशा में मोटिवेट करती है |  कि अगर टेक्निकल नॉलेज पर जाएंगे तो गूगल के पास हम सब में से किसी से ज्यादा नॉलेज है |और गूगल के पास नॉलेज है | वह दुनियां नहीं बदल सकता |  दुनिया बदलने का प्रोसेस मोटिवेशन से आएगा | इसीलिए जब हम जगतगुरु थे | तो क्या कहा जाता था | यहा लोग किसी लिए शिक्षा लेने आते थे | कहा जाता, एतत देशे प्रसूतस्य सकाशादग्र जनमना स्व: स्व: चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्ब मानब: | जहां अपने चरित्र की शिक्षा लेने पृथ्वी के सारे मानव आते थे | इसलिए हम जगतगुरु थे | हम उनकी पर्सनालिटी थिंकिंग प्रोसेस , थॉट प्रोसेस को टोटल ट्रांसफार्म करते थे |

वर्ल्ड कि Gio पॉलिटिक्स किन चीजों से गबर्न हो रही है |

तो फाइनली आप यह समझिए कि अगर आपका मोटिवेशन सही है | तो आप एजुकेशन के द्वारा सही दिशा में चीज अचीव कर सकते हैं | और वह मोटिवेशन आता कहां से है | उस सही दिशा में जाना है यह आता कहां से है | अब आप कहैगे चलिए तो पर्सनल बताया | अब ग्लोबल लेवल बताता हूं | कि आज ऋषिआ यूक्रेन की लड़ाई चल रही है | चाइना का अग्रेसिव मॉडल है | इसलिए 70,75 सालों में पूरे वर्ल्ड कि Jio पॉलिटिक्स किन चीजों से गबर्न हो रही है | एनेक्सेशन चाहे 91 में कुवैत का इराक ने करने की कोशिश की हो | या सबजुगेशन या डोमिनेशन |यही तो करना है ना | या तो छोटे कंट्री को मिक्स कर लेना है | जैसे तिब्बत को चाइना ने कर लिया था | या फिर सबजूगेट कर लेना है |

और सबजूगेट भी नहीं कर पाए तो एनी हाउ डॉमिनेट करना है | इकोनॉमिकली,  फाइनेंशली कि दूसरे देश पर हमारा कंट्रोल बना रहे  | पर अब आप यह उदाहरण लीजिए कि जब भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त की | तो क्या उसका एनेक्सेशन किया , नहीं | वहां कोई अपना वॉइस उड़ाया, डिपुटी अपॉइंट किया, नहीं |सबजुगेशन किया, नहीं | क्या उससे कोई ट्रीटी साइंन करवाई, यानि डॉमिनेशन किया, नहीं | यही तो डिफरेंस है कि आज के इस वर्ल्ड में भी वह मोटिवेशन अगर कहीं से निकल सकता है | तो भारत की धरती से निकल सकता है | कहने की बातें सब कहते हैं पीसफुल co-existence |

मोटिवेशन हमें कईं बार साइंस भी बताती है |

मगर पीसफुल कोएक्जिस्टेंस का भी जवाब व्यावहारिक दृष्टि अगर दिया है | तो हमने दिया है | और यह सिर्फ मुख्य़ धार्मिक विचार नहीं है | उई आर द ओनली कंट्री इन द वर्ल्ड हुइच नेवर वेंट फॉर इन्नोवेशन |बिकॉज उई आर द ओन्ली कल्चर इन द वर्ल्ड हुइच आर हैविंग नो कंसेप्ट अफ कन्वर्टसन | हम किसी को बदलना चाहते हैं | न किसी को डॉमिनेट करना चाहते हैं | इस मोटिवेशन की वजह से ही पर्सनल लेवल और Gio पॉलिटिक्स में हम बदलाव लाने में सफल होते हैं | अब मैं छोटा सा एक साइंस का उदाहरण देना चाहूंगा | मोटिवेशन हमें कईं बार साइंस भी बताती है | हम ध्यान नहीं दे पाते हैं | विकज नेचर और कॉस्मिक वर्ल्ड में एवरीथिंग इज कनेक्टेड |

जो आपको लगता है कि कंपार्टमेंटल है | कंपार्टमेंटल कुछ नहीं है | एक उदाहरण शायद आपको बेहतर समझ में आएगा | जैसे पचास-साठ साल पहले तो यह कहता कि दिल्ली में फैक्ट्री चल रही  इसकी वजह कनाडा में बर्फ पिघल रही है | तो लोग कहते हुए लॉजिकल हाउ फ़ोलिस यू अर | इट्स नॉट पॉसिबल | आपने क्या थर्मोडायनेमिक्स नहीं पड़ी | हीट कंडक्शन नहीं पड़ा | कुछ मीटर दूर की चीज नहीं पीघला सकती | आप कैसे कह रहे हैं इतना हजार किलोमीटर दूर और वह कैसे पिघल रही है | एंटायर आर्थ इस ए कॉस्मिक यूनिट | वह कंडक्शन नहीं हो रहा है | उसी ढंग से पूरा वर्ल्ड यूनिबर्स एक कॉस्मिक यूनिट है | हर चीज के संकेत सब जगह होते है |

एक एक्शन नीचे है वह ऊपर रीएक्शन को सपोर्ट कर रहा है |

एक छोटी सी बात |  दो लोग इंडिविजुअली अगर मिलकर काम करें | मैथ में देखिए  a or b, a जब a squre हो जाए + b जब b squre हो जाए तो क्या हुआ | a squre+b squre | पर अगर a+b whole squre कर दीजिए  तो क्या हुआ   तो ये additional मिल जाता है | अब physics का एक उदाहरण देखिए | कि कोई चीज किसी सरफेस पर ऐसे खड़ी रहती है | कियूं एक एक्शन नीचे है वह ऊपर रीएक्शन को सपोर्ट कर रहा है | दोनों ओर से अगर एक दूसरे को सपोर्ट नहीं करेंगे वह अपने अपने फोर्स की तरफ खीच लेंगे | तो सिस्टम विल कॉलेप्स |

त्याग करते हैं तो बॉन्डिंग ज्यादा मजबूत हो जाती है |

और तीसरा उदाहरण देखिए | जिन्होंने केमिस्ट्री पड़ी होगी उनको मालूम होगा जब दो आटम्स के बीच में बॉन्डिंग होती है तो दो प्रकार के बॉन्डिंग होता है | इलेक्ट्रोवेलेंट और कोवालेन्ट | कोवालेन्ट बो होते हैं जिसमें दो एटम्स के बीच में इलेक्ट्रॉन का साझा हो जाता है | और इलेक्ट्रोवेलेंट होता है कि  एक ने दूसरे को इलेक्ट्रॉनि दे दिया तो वह नेगेटिव चार्ज  हो जाता है | जिसने दिया वह पॉजिटिव चार्ज हो जाते है | इलेक्ट्रॉनिक फोर्स की बजह से वह एक हो जाते हैं |और दोनों में स्ट्रोंग ज्यादा कौन होता है | इलेक्ट्रोवेलेंट बॉन्ड | तो इसका मतलब क्या है | इसीमे समझ क्या है, प्रकृति ये संकेत देती है कि जब आप त्याग करते हैं तो बॉन्डिंग ज्यादा मजबूत हो जाती है |

अपने अंदर एक बड़ा चेंज लाने की जरूरत है |

अबिद्या में जीरो एक एंटिटी है और बिद्या में  जीरो एक अनुभूति है | इस लिए अविद्या के लिए ना किसी गुरु कीजरूरत है | ना पात्रता की जरूरत है | ना अपने अंदर कोई परिवर्तन लाने की जरूरत है | चाहिए पढ़ दीजिए | लेकिन विद्या के लिए आज भी पात्रता की जरूरत है | अपने अंदर एक बड़ा चेंज लाने की जरूरत है | क्योंकि वह अनुभूति का विषय है | इसलिए गुरु की जरूरत तब भी थी और आज भी है | अविद्या के लिए ना तब थी ना आज है |

विनाशकाले विपरीत बुद्धि |यह समझने का अर्थ कब आएगा |

जिसको हम कहानी में समझते हैं | उस कहानी में कितनी गहराई है | जैसे आप सबने सुना होगा संसद का बड़ा फेमस फ्रेज़ है |जिसकी लाइन आपको पता होगा, विनाश काले विपरीत बुद्धि | परंतु ये पूरा श्लोक किसीको याद है | और ये किसी संदर्व में है मालूम है | पूरा श्लोक यह है कि न निर्मते न बिद्यते तदेब न सूयते स्वर्णमयी कुरंगी , तथा अपि तृष्णा रघु नन्दनस्य विनाश काले विपरीत बुद्धि || मतलब न कभी बना था ,न कभी देखा था ,न कभी सुना था कि सोने का हिरन होता है | फिर भी तृष्णा ने रघुनंदन भगवान को भी घेर लिया इसे ही कहते हैं विनाशकाले विपरीत बुद्धि | यह समझने का अर्थ कब आएगा | मोटिवेशन से ,इंस्पिरेशन से सिर्फ एजुकेशन सै नहीं | इस लिए फाइनली आप इस बात को समझिए | कि हम वर्ल्ड को भी डॉमिनेट करना नहीं चाहते हैं |

अमृत काल समाप्त होते ही हम वर्ल्ड की सबसे शीर्ष पर होंगे ,मगर कैसे |

तो आश्वस्त रहिये यह स्वतंत्रता का अमृत काल है | और स्वतंत्रता का अमृत काल समाप्त होते ही हम वर्ल्ड की सबसे पीक पर होंगे ,मगर कैसे | इकोनामिक सुपरपावर बन के नहीं | इंटरलेक्चुअल सुपर पॉवर ही बनकर नहीं | मिलिट्री सुपरपावर बन के नहीं यह तो डोमिनेट करने के लिए बनते हैं और इसका कालखंड बहुत थोड़ा सा होता है | कोई देश सौ, डेढ़ सौ साल से ज्यादा समय दुनिया को डोमिनेंट नहीं कर पाया | हां उसमें भी अगर हम देखना चाहे तो हमारे पास ही ऐसे-ऐसे एग्जांपल्स हैं | हम इसीमे नहीं जाएंगे | इतना बताना चाह्ता हूं कॉन्फिडेंट रहीए, बस फाइनली एजुकेशन का मोटिव मोटिवेशन सम झीए ब्रॉड और विजन समझिए | और जो कुछ तय है वह तो होने ही वाला है |

उस बारे में कॉन्फिडेंस रखिए | उइ हॉप इन अवर लाइफ टाइम हम वह देखेंगे कि जो माइकल बोर्ड ने अपने स्टोरी ऑफ़ इंडिया करते थे डिस्कवरी चैनल में | उसके एंड मे  एक सेंटेंस लिखा था कि, बाई द मिड ऑफ़ द 20th सेंचुरी ,इंडिया कैन बिकम द बिगेस्ट कंट्री ऑन दआर्थ | पापुलेशन में चाइना को टेकओवर कर लेंगे | और 2008 में कहा था इफ इंडिया गोज इन ए प्रॉपर डायरेक्शन, इवन इन इकोनॉमि कैन नॉट ओनली ओवरटेक चाइना बट कैन बिकम इक़ुवैलेंट टू U.A.S |  बाई द मिड ऑफ़ द सेंचुरी इंडिया कैन वी द बिगेस्ट एंड द रिचेस्ट नेशन ऑन द अर्थ | The place at which it remain most of the time in the history. समझिए ये बात कितना गुरूत्तोपूर्ण है  |

भारत के आर्थिक और शैक्षिक परिवर्तन

आजादी के बाद भारत एक नया रूप ले चुका है। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब यह देश शैक्षिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ था। लेकिन अब भारत दुनिया के सबसे बड़े और तेजी से बढ़ते शिक्षा और शोध केंद्रों में से एक बन चुका है। यह तब संभव हुआ जब हमने शिक्षा के साथ-साथ प्रेरणा और उद्देश्य को भी महत्व दिया।

भारत का भविष्य: शिक्षा और प्रेरणा के माध्यम से |

भारत का लक्ष्य आने वाले 25 वर्षों में एक प्रमुख वैश्विक शक्ति बनना है। इसके लिए हमें सिर्फ अच्छे शैक्षिक संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं रहना है, बल्कि हमें अपने लक्ष्यों को ऊंचा उठाने की आवश्यकता है। हमें वैज्ञानिक, शोधकर्ता और उद्यमी बनकर समाज में बदलाव लाना होगा। इसके साथ ही हमें यह समझना चाहिए कि शिक्षा का असली उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना नहीं है, बल्कि समाज के लिए कुछ सार्थक करना है।

इसी आर्टिकल का प्रधान बिंदु |

1. हमारी प्राचीन शिक्षा व्यवस्था

  • प्राचीन भारत केवल ज्ञान का केंद्र नहीं था, बल्कि विश्व गुरु था।
  • हमारे पास एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था थी, जो केवल ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं करती थी, बल्कि मनुष्य के चरित्र और सोच को भी आकार देती थी।
  • शिक्षाएं केवल ज्ञान और सूचना तक सीमित नहीं होती थीं; वे जीवन की दिशा और उद्देश्य को समझने में मदद करती थीं।

2. आज के शिक्षा और प्रेरणा के उद्देश्य ।

  • शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ जानकारी का संचय नहीं है, बल्कि एक सही दिशा में सोचने, समझने और कार्य करने के लिए प्रेरित करना है।
  • तकनीकी ज्ञान को गूगल या अन्य स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन अगर उसे सही दिशा में उपयोग नहीं किया जाता, तो वह दुनिया को बदल नहीं सकता।
  • प्राचीन समय में लोग हमारे पास अपने विचारों और चरित्र के विकास के लिए आते थे।

3. भारत की अनूठी शिक्षा प्रणाली और दर्शन

  • भारत की संस्कृति और शिक्षा प्रणाली में किसी को भी बलात्कारी तरीके से बदलने या दबाने की प्रवृत्ति नहीं रही।
  • हम कभी भी दूसरे देशों को डॉमिनेट करने के लिए नहीं बढ़े, बल्कि हम हमेशा शांति और सह-अस्तित्व के सिद्धांतों के पक्षधर रहे हैं।
  • यही कारण है कि भारत का दृष्टिकोण अलग और प्रभावशाली है, जो आज भी दुनिया में शांति और सद्भाव की दिशा में प्रेरणा देने वाला है।

4. साइंस और ज्ञान का संबंध

  • विज्ञान में भी यह देखा गया है कि हर चीज एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।
  • जैसे की वैज्ञानिक उदाहरणों में दिखाया गया है, जहां एक घटना का प्रभाव दूर-दूर तक महसूस होता है, वैसे ही शिक्षा और जीवन में हर तत्व एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।
  • जब हम त्याग करते हैं और आपसी सहयोग करते हैं, तो हम मजबूत बनते हैं, और यह बात प्राकृतिक विज्ञानों से भी प्रमाणित होती है।

5. शिक्षा और प्रेरणा

  • शिक्षा के लिए केवल एक अच्छा शिक्षक या पात्रता की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि अपने भीतर परिवर्तन लाने की आवश्यकता होती है।
  • इसी तरह, जब हम किसी चीज को सच्चे अर्थों में समझने और महसूस करने लगते हैं, तो वही हमारी शिक्षा बन जाती है।
  • शिक्षा का असल उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि उसका सही उपयोग करना और उसे जीवन में लागू करना है।

6. विनाश काले विपरीत बुद्धि का अर्थ

  • "विनाश काले विपरीत बुद्धि" का अर्थ है कि जब किसी की मानसिकता गलत दिशा में जाती है, तो वह आत्म-विनाश की ओर बढ़ता है।
  • यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि अगर हम केवल अपनी इच्छाओं और भ्रांति के पीछे दौड़ते रहें, तो अंत में हमें नुकसान होगा।

7. भारत का भविष्य और वैश्विक दृष्टिकोण

  • आज भारत एक ऐसे समय में है, जहां हम आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली देशों में से एक बनने की ओर अग्रसर हैं।
  • दुनिया में भारत का प्रभाव बढ़ रहा है, और भारत को एक सुपरपावर के रूप में देखा जा रहा है।
  • इस दिशा में हमारे लिए एक दृढ़ विश्वास और उद्देश्य की आवश्यकता है, जो हमें हर चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाए।

8. निष्कर्ष

शिक्षा का असली उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि इसका उपयोग करके समाज में परिवर्तन लाना है। प्रेरणा और उद्देश्य के साथ शिक्षा को जोड़ने से हम अपने जीवन में बड़ी सफलता और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। हमें न केवल अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करनी है, बल्कि हमें इसे समाज की भलाई और राष्ट्र की प्रगति के लिए भी उपयोग करना है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम शिक्षा के साथ-साथ अपनी प्रेरणा को भी मजबूत करें, ताकि हम भविष्य में एक सफल और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।शिक्षा और प्रेरणा ही भारत के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी हैं। यह हमें न केवल ज्ञान देती हैं, बल्कि सही दिशा में चलने की प्रेरणा भी प्रदान करती हैं। अगर हर भारतीय अपने जीवन में शिक्षा और प्रेरणा को अपनाए, तो भारत फिर से जगत गुरु बन सकता है।
भारत के पास वह शक्ति और प्रेरणा है, जो दुनिया में बदलाव ला सकती है।
हमें केवल अपनी मानसिकता को सही दिशा में मोड़ने की जरूरत है, ताकि हम न केवल अपने देश को बल्कि पूरी दुनिया को एक नया दृष्टिकोण दे सकें। 
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